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Saturday, 29 April 2023

ये भी हैं प्यार और सम्मान के हक़दार


पत्थर नहीं हैं ये, 

ये भी हैं हमारी तरह एक इंसान। 

इनको भी है सम्मानित जीवन जीने का अधिकार। 

कहते हैं इस श्रृष्टि में नहीं है कोई चीज बेकार

फिर क्यों करते हो इन पर इतने अत्याचार? 

क्यों करते हो इनको अस्वीकार? 

क्यों करते हो इन व्यंग्यात्मक शब्दों के बाणों से वार? 

आखिर है क्या कसूर इनका? 

क्या ये कि इनका लिंग निश्चित नहीं है? 

तो फिर क्यों कहते हो 

कि ईश्वर द्वारा निर्मित हर चीज अनोखी है? 

तो फिर क्यों नहीं इन्हें अनोखा समझ कर, 

इनको भी देते हो प्यार और सम्मान? 

इनमें भी है भावनाएँ ,ये भी हैं प्यार के हक़दार। 

मत करो इन पर व्यंग्यात्मक शब्दों के बाणों से वार। 

दर्द और तकलीफ होती है इन्हें भी बेसुमार, 

क्या बीतती है इन पर जब इनको

नाकार देता है इनका अपना ही परिवार। 

महसूस करके तो देखो एकबार । 

करीब जाकर देखो तो एकबार 

पता चलेगा कि कितनी जरूरत है इन्हें

हमारे प्यार और सम्मान की । 

जिससे इनका जीवन भी हो सके

खूबसूरत और आसान। 

वाह रे मानव तू पत्थर पूज सकता है। 

पर एक इंसान को नहीं दे सकता 

थोड़ा सा प्यार और सम्मान।    

-मनीषा गोस्वामी


3 comments:

  1. बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति मनीषा। यहीं तो कड़वी सच्चाई है समाज की कोई भी इस बारे में नहीं सोचता।

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  2. प्रिय मनीषा,वेद पुराणों में भी जिन्हे सृष्टि के तीसरे अहम किरदार के रूप में स्वीकार किया गया है उन्हीं किन्नरों को अक्सर लोग बड़ी हिकारत से देखते हैं पर सच तो यह कि शारीरिक संरचना में हमारा अपना कोई योगदान नहीं है।हर कोई प्रकृति या ईश्वर द्वारा प्रदत्त संरचना में ढला है।बहुत ही भावपूर्ण लिखा है तुमने।अच्छा है हर कोई इस सन्देश को समझे।

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