जिस शख़्स का हाथ उम्रभर
हर मुश्किल घड़ी में थामें
रखने के लिए थामते है,
क्यों उसी पर हाथ उठाना
मर्दानगी का काम
समझने लगते हैं ?
जिस हाथ को थाम
कर हर मुशिबतों का
एक साथ सामना करने का कसमें खाते हैं
क्यों उसी शख़्स के मुशिबतों की
वजह बनने लगते हैं?
जिस शख़्स के कदमों से कदम
मिलाकर चलने की कसमें खाते हैं,
क्यों उसी शख़्स के रास्ते का
खुद रोड़ा बनने लगते हैं?
जिस शख़्स के हमदर्द
बनने की कसमें खाते हैं
क्यों उसी शख़्स के दर्द की
वजह बनने बन जाते हैं?
जिस शख़्स को अपनी जिंदगी में
खुशियाँ भरने के लिए शामिल करते हैं,
क्यों उसी शख़्स के जिंदगी में
दर्द ही दर्द भर देते हैं?
जिसकी ताकत बनने की कसमें खाते हैं
क्यों उसकी कमजोरी की
वजह बनने लगते हैं?
जिंदगी को स्वर्ग बनाने की कसमें खाते हैं
फिर क्यों जहन्नुम से भी
बदतर बना देते हैं?
जीवनसाथी बनने की कसमें खाते हैं
पर क्यों जिंदगी के
दुश्मन बन बैठते हैं?
फिर ऐसे लोग जीवनसाथी
क्यों कहलाते हैं?